पैदल यात्रियों को जंगलों में खजाना मिला

लंदन यूरोप के चेक रिब्लिक में दो हाइकर्स यानी पैदल यात्रियों को देश के उत्तर-पूर्वी इलाके में स्थित क्रकोनोशे पर्वतों के जंगलों में खजाना मिला। खजाना मिलने के बाद भी ये अमीर इंसान नहीं बन सके। क्योंकि ये दोनों ही ईमानदार थे। इन्होंने ईमानदारी दिखाते हुए खजाने को सरकार को सौंप दिया है। यह खजाना दूसरे विश्व युद्ध के दौरान का बताया जा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इतिहासकार इस खजाने से जुड़ा रहस्य सुलझाने में लगे हैं। बताया जा रहा है कि यह दोनों हाइकर्स ट्रेकिंग पर निकले थे तभी उनकी नजर जंगल में शॉर्टकट लेते हुए एक पत्थर की दीवार से निकली हुई एक एल्युमिनियम की पेटी पर पड़ी। जब उन्होंने इसे खोला तो उसमें से 598 सोने के सिक्के, 10 सोने की कंगन, 17 सिगार केस, एक पाउडर कॉम्पैक्ट और एक कंघी मिली। इन हाइकर्स ने तुरंत ही यह खजाना ईस्टर्न बोहेमिया म्यूजियम को सौंप दिया।
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संग्रहालय के पुरातत्व विभाग प्रमुख के मुताबिक खोजकर्ता बिना किसी पूर्व सूचना के सीधे म्यूजियम के सिक्का विशेषज्ञ के पास पहुंचे। इसके बाद म्यूजियम की टीम ने उस स्थान का गहन अध्ययन किया।
बताया जा रहा है कि इस खजाने की उम्र सौ साल से ज्यादा नहीं है क्योंकि उसमें शामिल एक सिक्के पर तारीख 1921 लिखी है। विशेषज्ञों के मुताबिक यह संभवतः द्वितीय विश्व युद्ध से पहले की उथल-पुथल भरी अवधि से जुड़ा हो सकता है, जब चेक और यहूदी समुदाय सीमा क्षेत्रों से पलायन कर रहे थे या 1945 के समय का हो सकता है जब जर्मन समुदाय उस क्षेत्र को छोड़ रहा था। इस खजाने की धातु मूल्यांकन के मुताबिक सिर्फ सोने के सिक्कों की धातु कीमत ही करीब 3.7 किलोग्राम यानी 8.16 पाउंड है, जिसकी कीमत करीब 8 मिलियन चेक कोरुना यानी करीब 360,000 डॉलर आंकी गई है। Hikers found treasure in the forest
खास बात यह है कि इन सिक्कों में कोई भी चेक या जर्मन का सिक्का नहीं है। आधे सिक्के बाल्कन क्षेत्र के हैं और बाकी फ्रांस के हैं। कुछ सिक्कों पर पूर्व यूगोस्लाविया के काउंटरमार्क हैं, जो केवल 1920 या 1930 के दशक में ही लगाए जाते थे। यह दर्शाता है कि यह खजाना सीधे बोहेमिया नहीं पहुंचा, बल्कि संभवतः प्रथम विश्व युद्ध के बाद बाल्कन प्रायद्वीप में रहा। इस खोज ने स्थानीय लोगों में हलचल मचा दी है। कई लोग अपने-अपने अनुमान और पारिवारिक कथाएं म्यूजियम को बता रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यह संपत्ति उस क्षेत्र के धनी स्वेर्ट्स-श्पोर्क परिवार की हो सकती है।
वहीं एक अन्य सिद्धांत यह है कि यह खजाना चेकोस्लोवाक सैनिकों द्वारा युद्ध के दौरान लूटी गई संपत्ति हो सकती है। फिलहाल दो सिगार केस अभी भी बंद हैं और उन्हें नहीं खोला गया है। खजाने की जांच जारी है और विशेषज्ञ इसकी धातु संरचना और इतिहास को बेहतर समझने के लिए इसकी खोज कर रहे हैं।
source – ems