Health: शार्ट वीडियोज देखने की लत शराब के नशे जैसा

Addiction to watching short videos is like addiction to alcohol
Addiction to watching short videos is like addiction to alcohol

शार्ट वीडियोज देखने की लत सिर्फ समय की बर्बादी नहीं, बल्कि दिमाग के लिए भी खतरनाक साबित हो रही है। इस बारे में न्यूरोसाइंटिस्ट का कहना है कि इसका असर शराब के नशे जैसा होता है। इस रिसर्च को तियानजिन नॉर्मल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर कियांग वांग ने लीड किया। इसमें पाया गया कि शार्ट वीडियोज दिमाग के उसी हिस्से को ट्रिगर करते हैं जो एडिक्टिव चीजों जैसे शराब और जुए की लत में एक्टिव होता है। लगातार ऐसे वीडियोज देखने वाले लोगों के ब्रेन में रिवार्ड पाथ की एक्टिविटी बढ़ जाती है, जिससे वे बार-बार इन्हें देखने की चाहत महसूस करते हैं। चीन में तो यह समस्या बेहद गंभीर है, जहां 95.5 प्रतिशत इंटरनेट यूजर्स इस आदत से प्रभावित हैं और औसतन 151 मिनट रोज शार्ट वीडियोज पर खर्च करते हैं। यह हाई-इंटेंसिटी रिवार्ड कंजम्पशन ध्यान, नींद और मानसिक स्वास्थ्य को खराब करता है और डिप्रेशन का खतरा बढ़ा देता है। दूसरी रिसर्च से भी यह सामने आया है कि शार्ट वीडियोज से याददाश्त, सीखने की क्षमता और अटेंशन स्पैन पर नकारात्मक असर पड़ता है।

विशेषज्ञ बताते हैं कि डोपामाइन, जो मूड और मोटिवेशन के लिए जिम्मेदार न्यूरोट्रांसमीटर है, इन वीडियोज की वजह से असंतुलित हो जाता है। नतीजतन दिमाग को असली खुशी नहीं मिलती और केवल शॉर्ट वीडियोज देखकर ही अच्छा महसूस होने लगता है। यह ब्रेन के दो अहम हिस्सों पर असर डालता है प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स और हिप्पोकैम्पस। जहां प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स डिसीजन लेने और सेल्फ कंट्रोल से जुड़ा होता है, वहीं हिप्पोकैम्पस याददाश्त और लर्निंग प्रोसेस नियंत्रित करता है। लगातार शॉर्ट वीडियोज देखने से इन हिस्सों की क्षमता प्रभावित होती है, जिससे नींद की गुणवत्ता खराब होती है और भूलने की समस्या बढ़ती है।

डॉक्टर इसे डिजिटल इंटॉक्सिकेशन और लंबे समय तक असर को डिजिटल डिमेंशिया बताते हैं। इसमें व्यक्ति की याददाश्त कमजोर हो जाती है और मानसिक दक्षता पर बुरा असर पड़ता है। एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि स्क्रीन टाइम रोजाना 2-3 घंटे से ज्यादा नहीं होना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति 4-5 घंटे या उससे ज्यादा समय शॉर्ट वीडियोज पर बिता रहा है तो यह गंभीर खतरे का संकेत है। बता दें कि आज के दौर में इंस्टाग्राम रील्स, यूट्यूब शॉर्ट्स, फेसबुक और टिकटॉक जैसे प्लेटफॉर्म मनोरंजन का बड़ा जरिया बन गए हैं। लोग खाली समय मिलते ही मोबाइल खोलकर इन्हें देखने लगते हैं।

source – ems