BIG NEWS: दो साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप नहीं दे

सरकार ने एडवाइजरी जारी करते हुए कहा

Do not give cough syrup to children under two years of age.
Do not give cough syrup to children under two years of age.

नई दिल्ली अक्सर ऐसा होता कि बच्चे हों या बड़े खांसी चलने या गले में खराश की शिकायत पर कफ सिरप दे दिया जाता है, लेकिन केंद्र सरकार ने एडवाइजरी जारी करते हुए दो साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप नहीं देने को कहा है। वैसे तो यह परामर्श स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय द्वारा जारी किया गया है, लेकिन इसके पीछे का कारण अहम है, जिसने ऐसा करने के लिए सरकार को मजबूर कर दिया।

दरअसल केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक अहम एडवाइजरी जारी करते हुए दो साल से कम उम्र के बच्चों को खांसी और सर्दी की दवाएं, विशेष रूप से कफ सिरप नहीं देने की सलाह दी है। सरकार ने यह कदम मध्यप्रदेश में कथित रूप से दूषित कफ सिरप से बच्चों की मौतों की खबरों के बाद उठाया गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने हालांकि स्पष्ट किया है कि मध्य प्रदेश में लिए गए सभी सिरप के नमूनों की जांच में डायथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) और एथिलीन ग्लाइकॉल (ईजी) जैसे हानिकारक रसायन नहीं पाए गए। ये दोनों रसायन बच्चों की किडनी को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकते हैं और कई अंतरराष्ट्रीय मामलों में बच्चों की मौत का कारण बन चुके हैं।

डीजीएचएस की ओर से डॉ. सुनीता शर्मा के हस्ताक्षर से जारी परामर्श में कहा गया है कि सामान्य रूप से पाँच साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप देने की सिफारिश नहीं की जाती। छोटे बच्चों में खांसी और जुकाम के अधिकतर मामले स्वतः ही ठीक हो जाते हैं, जिनके लिए दवाइयों की जरूरत नहीं होती।

चिकित्सकों के लिए भी परामर्श

केंद्र की सलाह में यह भी कहा गया है कि डॉक्टरों को बच्चों के लिए खांसी की दवाएं बहुत सोच-समझकर और जरूरत पड़ने पर ही लिखनी चाहिए। वृद्ध लोगों में भी इन दवाओं का उपयोग चिकित्सकीय मूल्यांकन और निगरानी के बाद ही किया जाए। डीजीएचएस ने सभी राज्य स्वास्थ्य विभागों, जिला स्वास्थ्य प्राधिकरणों, सरकारी अस्पतालों, प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को निर्देश दिया है कि इस एडवाइजरी को तुरंत लागू किया जाए और आम जनता को इसके प्रति जागरूक किया जाए।

स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी), राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की संयुक्त टीम ने मध्यप्रदेश का दौरा किया और कफ सिरप के नमूने जांचे। सभी नमूनों में कोई हानिकारक तत्व नहीं मिला। वहीं, राजस्थान में भी जांच के बाद यह पाया गया कि जिस सिरप से दो बच्चों की मौत की आशंका जताई गई थी, उसमें प्रोपिलीन ग्लाइकॉल जैसे रसायन नहीं थे जो आम तौर पर दूषण का स्रोत बनते हैं। केंद्र सरकार का यह कदम बच्चों की दवा सुरक्षा सुनिश्चित करने और डॉक्टरों व अभिभावकों को जिम्मेदारीपूर्वक दवा उपयोग के लिए जागरूक करने की दिशा में एक अहम पहल माना जा रहा है।

source – ems