निठारी कांड का असली गुनहगार कौन है, यह सवाल अभी भी बना हुआ

Who is the real culprit of Nithari case, this question still remains
Who is the real culprit of Nithari case, this question still remains

नई दिल्ली। निठारी कांड में मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को अदालतों ने अब तक अधिकांश मामलों में बरी कर दिया है। इसका सीधा मतलब यह है कि अदालत के अनुसार, उनके खिलाफ बच्चों की हत्या का कोई ठोस सबूत नहीं मिल सका है। इसके बाद निठारी कांड का असली गुनहगार कौन है, यह सवाल अभी भी बना हुआ है, और यही इस मामले की सबसे बड़ी विडंबना है। दरअसल गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट ने सुरेंद्र कोली को 12 मामलों में और पंढेर को 2 मामलों में फांसी की सजा सुनाई थी। हालांकि, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सबूतों की कमी और जांच में लापरवाही के चलते दोनों को बरी कर दिया।

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले को बरकरार रखते हुए दोनों को बरी कर दिया। इस पूरे हत्याकांड में जांच की कई खामियां उजागर हुई है। इस मामले में फॉरेंसिक सबूतों की कमी साफ दिखाई दी। बच्चों की लाशों के टुकड़े मिलने के बावजूद, उनका डीएनए टेस्ट नहीं करवाया गया, जिससे यह साबित हो सके कि वे किन के बच्चे थे। इतना ही नहीं सुरेंद्र कोली के कबूलनामे का वीडियो कोर्ट में पेश नहीं किया गया, और उसके बयानों पर उसके हस्ताक्षर भी नहीं थे। पुलिस हिरासत में दिए गए बयानों को कानूनी रूप से मान्य करने के लिए ठोस सबूतों की आवश्यकता होती है।

वहीं मामले में आरोपी बनाए गए सुरेंद्र कोली ने जिन जगहों पर लाशों के टुकड़े दबाने का दावा किया था, वहां खुदाई में कुछ भी नहीं मिला। देश की प्रमुख जांच एजेंसियां न हत्या के पीछे का कोई मकसद बता सकी और न ही कोई हत्या का हथियार बरामद हुआ। अदालत ने इस पूरे मामले की जांच के दौरान इस बात पर भी हैरानी जाहिर की कि अंगों की तस्करी के एंगल की कभी जांच नहीं की गई, जबकि पंढेर पहले से ही किडनी स्कैम में आरोपी था। Nithari case

यदि पंढेर और कोली निर्दोष हैं, तब यह सवाल और भी गहरा हो जाता है कि आखिर उन 16 बच्चों की बेरहमी से हत्या किसने की थी। अदालती फैसलों से यह स्पष्ट है कि पुलिस और सीबीआई की जांच में गंभीर खामियां थीं, इसकारण कारण वास्तविक अपराधी का पता नहीं चल पाया। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान साफ तौर पर कहा है कि यह संभावना है कि हत्याएं किसी और ने की हों और जांच एजेंसियों ने असली कातिल को छोड़ दिया हो। हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में एक गरीब (सुरेंद्र कोली) पर जबरन आरोप मढ़ा गया है। यह पुलिस की शुरुआती जांच की लापरवाही को दिखाता है।

सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और पीड़ितों के परिवारों की 14 याचिकाओं को खारिज किया है, जिससे फिलहाल पंढेर और कोली के खिलाफ सभी दरवाजे बंद हो गए हैं। यह मामला भारतीय न्याय प्रणाली में जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। निठारी कांड अभी भी एक अनसुलझी पहेली बना हुआ है, और जब तक असली गुनहगार का पता नहीं चलता, तब तक पीड़ितों को न्याय नहीं मिलेगा।

source – ems