“राजा टोडरमल जयंती महोत्सव”

18 मार्च 2025 मंगलवार
आयोजन की करें तैयारी
(पत्र क्रं 04/उत्सव/दिनांक 10-02-2025/मन्दसौर)
अत्यंत हर्ष के साथ आग्रह पूर्वक सूचित किया जाता है कि आगामी 18 मार्च को राजा टोडरमल जयंती महोत्सव को अखिल भारतीय पोरवाल महासभा एवं महिला महासभा के मार्गदर्शन तथा अभा पोरवाल युवा संगठन राष्ट्रीय इकाई के नेतृत्व में प्रदेश इकाई द्वारा प्रत्येक गांव नगर शहर में स्थानीय पोरवाल समाज इकाई एवं पोरवाल महिला मंडल के सहयोग एवं संयुक्त प्रयासों से गरिमामय समारोह के रूप में मनाया जाना है।
आप सभी प्रत्येक गांव नगर शहर में गठित पोरवाल समाज, पोरवाल महिला मंडल एवं पोरवाल युवा संगठन इकाइयों से विनम्र आग्रह है कि कार्यक्रम की रूपरेखा तय करने हेतु शीघ्र ही एक बैठक आयोजित करें।
बैठक में कार्यक्रम की रूपरेखा,अतिथियों का चयन, स्थानीय समाज के 80 वर्ष या अधिक उम्र के वरिष्ठ समाजसेवियों का सम्मान, स्थानीय समाज के विशेष उपलब्धि प्राप्त युवाओं का सम्मान आदि विषयों पर चर्चा कर निर्णय लिया जाए।
सर्वप्रथम पोरवाल युवा संगठन नगर इकाई अपनी बैठक करें और स्थानीय युवाओं को आंमत्रित कर कार्यक्रम की रूपरेखा तय करें।
उसके पश्चात स्थानीय पोरवाल समाज अध्यक्ष महोदय को अपने कार्यक्रम से अवगत करवाएं। एवं सहयोग हेतु आग्रह करें। साथ ही स्थानीय पोरवाल महिला मंडल अध्यक्षा को भी सूचित करें।
सभी के संयुक्त तत्वावधान में राजा टोडरमल जयंती महोत्सव आयोजित हो ऐसा प्रयास करें।
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विशेष ऐतिहासिक तथ्य-
राजा टोडरमल एक महापुरुष थे, जिन्होंने पोरवाल समाज के एक विशेष घटक की रक्षा करने का संकल्प लिया और उसके लिए उन्होने अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।
राजा टोडरमल पोरवाल समाज के आराध्य देव या पितृ पुरूष थे या नहीं? यह अभी भी शोध का विषय है। इसलिए राजा टोडरमल को महापुरुष की ही उपाधि से सम्बोधित करना उचित होगा।
पोरवाल समाज के अनेक घटक है और उनके इतिहासकारों ने राजा टोडरमल की कथाएं लिखी है। उनकी राव भाट पौथी में भी इसका उल्लेख है। देवता के कड्यां में पूर्वजों के रूप में राजा टोडरमल को एवं सती के रूप में उनकी पत्नी को पूजते हैं। बद्रीलाल जी पोरवाल अजेला के पास उपलब्ध इतिहास से प्राप्त जानकारी अनुसार
श्री रामचरितमानस ग्रंथ में गोस्वामी तुलसीदास जी ने अपनी प्रस्तावना में मंत्री टोडरमल को अपना प्रिय मित्र सम्बोधित करते हुए लिखा कि रामचरितमानस की मुख्य प्रति असुरक्षित महसूस होने पर उन्होंने उसे अपने मित्र टोडरमल के पास तिजोरी में सुरक्षित रखवा दिया और फिर एक एक पन्ना लेकर उसकी द्वितीय प्रति तैयार की।
(श्री रामचरितमानस की प्रस्तावना से साभार,,,)
इस विषय पर समाज के वरिष्ठजनों और इतिहासकारो में मतांतर या मतभेद हो सकते हैं। जो स्वाभाविक है।
राजा टोडरमल एक महापुरुष थे और उन्हें पोरवाल वैश्य घटक, अग्रवाल वैश्य घटक , जैन वैश्य, कलाल पोरवाल, खत्री वैश्य, और अनेक वैश्य घटक अपना अपना महापुरुष मानते हैं।
हमारे परिवार लगभग 1000 वर्ष पहले से ही धीरे धीरे मालवांचल में आकर बसते गये और यह क्रम निरंतर सोलहवीं शताब्दी तक चलता रहा। हमारे ही समान नामधारी पोरवाल समाज के अन्य घटक बाद में उन क्षेत्रों से पलायन कर मालवांचल और राजस्थान हाड़ौती क्षेत्र में आए, हो सकता है कि उनकी रक्षा हेतु राजा टोडरमल ने अपने प्राण न्यौछावर किए। यह अभी भी शोध का विषय है?और प्रामाणिक जानकारी पर शोध जारी है।
( प्राग्वाट समाज का इतिहास ग्रंथ से साभार,,,✍️)
निष्कर्ष-
समाज को एकजुट करने, संगठित करने और एक सशक्त समाज बनाने में राजा टोडरमल, भावड़शाह, जावड़शाह, वस्तुुपाल, तेजपाल, सेठ रामलाल, जैसे महापुरुषों का स्मरण करना समय की आवश्यकता है।
जगह जगह राजा टोडरमल की प्रतिमाएं स्थापित हो चुकी है। कई स्थानों पर सड़कों, चौराहों, बाजारों के नामकरण राजा टोडरमल के नाम से हो चुकें हैं। यह दिन अब पोरवाल समाज एकत्रीकरण दिवस हो गया है।
समाज के प्रबुद्ध वर्ग के पास यदि और भी महापुरुषों के नाम है जो पोरवाल समाज से जुड़े हैं और वह उनके जयंती पर भव्य आयोजन रखते हैं तो हम सभी मिलकर उनके साथ खड़े रहेंगे। और उत्साह से भाग लेंगे।
अंत में पुनः सभी समाज अध्यक्षों, समाज बन्धुओं, महिला मंडल अध्यक्षा मातृशक्ति और युवाओं से विनम्र आग्रह है कि आप अपने अपने गांव नगर शहर में स्थानीय समाज , महिला मंडल एवं युवाओं को एकजुट कर बैठक आयोजित कर राजा टोडरमल जयंती महोत्सव की तैयारी करें।
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निवेदक
नरेन्द्र उदिया मन्दसौर
राष्ट्रीय अध्यक्ष
जगदीश काला मन्दसौर
राष्ट्रीय महामंत्री
पवन मुन्या सुवासरा
राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष
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जितेन्द्र काला,आलोट
प्रदेश अध्यक्ष मप्र
अंकित पोरवाल चौमहला
प्रदेश अध्यक्ष राजस्थान
पवन डपकरा अहमदाबाद
प्रदेश अध्यक्ष गुजरात