इंदौर स्वच्छता में देश में बना लगातार आठवीं बार अव्वल

Indore tops the country in cleanliness for the eighth time in a row
Indore tops the country in cleanliness for the eighth time in a row

इंदौर
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज गुरूवार को नई दिल्ली में आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा आयोजित एक गरिमामय समारोह में स्वच्छता सर्वेक्षण-2024 पुरस्कार प्रदान किए। इंदौर स्वच्छता के क्षेत्र में लगातार आठवी बार देश में अव्वल बना है। राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने इंदौर को पुरस्कृत किया। इंदौर को प्राप्त हुआ सम्मान पुरस्कार नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय, महापौर श्री पुष्यमित्र भार्गव और नगर निगम आयुक्त श्री शिवम वर्मा ने प्राप्त किया। इस अवसर पर केन्द्रीय शहरी विकास एवं आवासन मंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर तथा राज्यमंत्री श्री तोखन साहू भी विशेष रूप से मौजूद थे।

राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने संबोधित करते हुए कहा कि स्वच्छता सर्वेक्षण-2024 हमारे शहरों द्वारा स्वच्छता के प्रयासों का आंकलन और प्रोत्साहन करने में एक सफल प्रयोग साबित हुआ है। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा वर्ष 2024 के लिए दुनिया का सबसे बड़ा स्वच्छता सर्वेक्षण आयोजित किया गया, जिसमें विभिन्न हितधारकों, राज्य सरकारों, शहरी निकायों और लगभग 14 करोड़ नागरिकों ने भाग लिया।

श्रीमती मुर्मु ने कहा कि हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना ने प्राचीन काल से ही स्वच्छता पर जोर दिया है। अपने घरों, पूजा स्थलों और आस-पास को साफ रखने की परंपरा हमारी जीवनशैली का अभिन्न अंग थी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कहा करते थे, “स्वच्छता ईश्वर भक्ति के बाद आती है।” वे स्वच्छता को धर्म, आध्यात्मिकता और नागरिक जीवन की आधारशिला मानते थे। राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने कहा कि उन्होंने जनसेवा की अपनी यात्रा स्वच्छता से जुड़े कार्यों से शुरू की थी। अधिसूचित क्षेत्र परिषद की उपाध्यक्ष के रूप में श्रीमती मुर्मु प्रतिदिन वार्डों का दौरा करती थीं और स्वच्छता कार्य की निगरानी करती थीं।

राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने कहा कि न्यूनतम संसाधनों का उपयोग करके और उन्हें उसी उद्देश्य या अन्य उद्देश्य के लिए पुनः उपयोग करके अपशिष्ट को कम करना हमेशा हमारी जीवनशैली का हिस्सा रहा है। चक्रीय अर्थव्यवस्था के मूल सिद्धांत और ‘कम उपयोग करें- पुनः उपयोग करें’ पुनर्चक्रण की प्रणालियां हमारी प्राचीन जीवनशैली के आधुनिक और व्यापक रूप हैं। उदाहरण के लिए, आदिवासी समुदायों की पारंपरिक जीवनशैली सरल है। वे कम संसाधनों का उपयोग करते हैं और मौसम तथा पर्यावरण के साथ तालमेल बिठाते हैं और अन्य समुदाय के सदस्यों के साथ साझेदारी में रहते हैं। वे प्राकृतिक संसाधनों को बर्बाद नहीं करते हैं। इस तरह के व्यवहार और परंपराओं को अपनाकर चक्रीयता की आधुनिक प्रणालियों को मज़बूत किया जा सकता है।

राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने कहा कि अपशिष्ट प्रबंधन मूल्य श्रृंखला में पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम स्रोत पृथक्करण है। सभी हितधारकों और प्रत्येक परिवार को इस पर सबसे ध्यान देना चाहिए। शून्य-अपशिष्ट कॉलोनियां अच्छे उदाहरण प्रस्तुत कर रही हैं। श्रीमती मुर्मु ने स्कूल स्तर पर आंकलन पहल की सराहना की, जिसका उद्देश्य है कि विद्यार्थी स्वच्छता को एक जीवन-मूल्य के रूप में अपनाएं। उन्होंने कहा कि इससे बहुत लाभकारी और दूरगामी परिणाम होंगे। राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने कहा कि प्लास्टिक और इलेक्ट्रॉनिक कचरे को नियंत्रित करना और उनसे उत्पन्न प्रदूषण को रोकना एक बड़ी चुनौती है। उचित प्रयासों से हम देश के प्लॉस्टिक उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी ला सकते हैं।

केंद्र सरकार ने वर्ष 2022 में एकल-उपयोग प्लास्टिक युक्त कुछ वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाया। उसी वर्ष, सरकार ने प्लास्टिक पैकेजिंग के लिए विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व हेतु दिशा-निर्देश जारी किए। सभी हितधारकों – उत्पादकों, ब्रांड मालिकों और आयातकों – की यह ज़िम्मेदारी है कि वे इन दिशानिर्देशों का पूरी तरह पालन करें। राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि स्वच्छता से जुड़े प्रयासों के आर्थिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक पहलू हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सभी नागरिक स्वच्छ भारत मिशन में पूरी लगन से हिस्सा लेंगे और सुविचारित संकल्पों के साथ वर्ष 2047 तक विकसित भारत दुनिया के सबसे स्वच्छ देशों में से एक होगा।

source – pro