विशालकाय कंसाई एयरपोर्ट धीरे-धीरे समुद्र में समा रहा

टोकियो दुनियाभर में क्लाइमेट चेंज का असर हो रहा है और इससे जापान भी अछूता नहीं है। जापान के तकनीकी रूप से कल्पनाशील एयरपोर्ट कंसाई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर क्लाइमेट चेंज का बड़ा और चिंताजनक प्रभाव देखने को मिला। साल 1994 में बना यह एयरपोर्ट जो दुनिया का पहला पूरी तरह समुद्र के बीच कृत्रिम द्वीपों पर बनाया गया था अब धीरे-धीरे समुद्र के आगोश में समाता जा रहा है।
कंसाई एयरपोर्ट को जिस सॉफ्ट सीबेड पर बनाया गया था वो अब धंस रहा है। बीते तीन दशकों में एयरपोर्ट का पहला द्वीप 13.6 मीटर तक जबकि दूसरा द्वीप 17.47 मीटर तक पानी के नीचे धंस चुका है। आंकड़े बताते हैं कि यह अब भी हर साल 6 सेंटीमीटर तक धंस रहा है जिससे यह विशालकाय एयरपोर्ट धीरे-धीरे समुद्र में समा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कंसाई एयरपोर्ट के भविष्य को लेकर विशेषज्ञों ने गंभीर चेतावनी दी है। यदि इसके पानी में सामने की दर इसी तरह जारी रही तो 2056 तक एयरपोर्ट का कुछ हिस्सा पूरी तरह से समुद्र में समा जाएगा। यह जापान और वैश्विक विमानन उद्योग के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है। करीब 20 अरब डॉलर यानी 1.6 लाख करोड़ रुपए की लागत से बने इस एयरपोर्ट का डिज़ाइन मशहूर आर्किटेक्ट रेंजो पियानो ने तैयार किया था। इसका 1.7 किलोमीटर लंबा टर्मिनल-1 दुनिया के सबसे लंबे टर्मिनलों में से एक है। निर्माण के समय इसे भविष्य की ज़रूरतों के अनुरूप बेहद टिकाऊ और लचीला माना गया था, लेकिन अब क्लाइमेट चेंज, समुद्र के बढ़ते स्तर और समुद्री उतार-चढ़ाव इसके सामने नई चुनौतियां बन रहे हैं। Kansai Airport
इस एयरपोर्ट के बुनियादी ढांचे की कमजोरियां सबसे पहले 2018 में टाइफून जेबी के दौरान उजागर हुईं जब कंसाई एयरपोर्ट पूरी तरह से पानी में डूब गया था। इस घटना के बाद 150 मिलियन डॉलर यानी करीब 1200 करोड़ रुपए का एक विशाल बचाव अभियान शुरू किया गया था। इंजीनियरों ने 900 हाइड्रॉलिक जैक, सीवॉल्स और वर्टिकल सैंड ड्रेन्स जैसी तकनीकों का उपयोग करके धंसाव को नियंत्रित करने की कोशिश की। 2024 तक औसत सालाना धंसाव को कई हिस्सों में 6 सेंटीमीटर तक सीमित करने में कुछ हद तक सफलता मिली है।
source – ems